zhaan se zuda khvabon ka zhaan.........
" महनत से बना सोच के सांचे ,तकदीर को ढंग देना है , जवाँ धड़कन संग है तेरे ,पहचान को नया रंग देना है , ज़हाँ की तुझ पर निगाहें हैं ,ये ज़हन में तरंग देना है, शब्दों के लय में झूमे समां ,साहित्य में वो उमंग देना है |" -सुशांत ' सरल '
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